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शैक्षिक अनुसंधान


अनुसंधान
अनुसंधान एक ऐसी व्यवस्था है जिसके द्वारा नवीन तथ्यों की खोज की जाती है। तथा प्राचीन तथ्यों की पुन: व्याख्या की जाती है। - पी वी यंग नवीन ज्ञान की प्रप्ति के व्यवस्थित प्रयास को अनुसंधान कहते हैं। - रैडमैन तथा मोरी

मौलिक अनुसंधान( Fundamental research)
इस प्रकार के अनुसंधान में शिक्षा समबन्धी आधारभूत सिद्धान्तों नियमों तथा तथ्यों की खोज की जाती है।
विशेषताएं

  • व्यवस्थित अनुसंधान एवं विशेषज्ञों का क्षेत्र
  • प्राचीन अधिगम शिक्षण सिद्धान्तो की नवीनतम विवेचना
Applied research अनुप्रयुक्त अनुसंधान

  • इसका सम्बन्ध व्यवहारिक समस्याओं के वर्तमानकालिक समाधान से होता है।
  • मौलिक अनुसंधान के माध्यम से खोजे गये सिद्धान्तों व नियमों की विवेचना वर्तमान संदर्भ में किसी क्षेत्र व समस्या को केन्द्र मानकर की जाती है।
  • इसमें वास्तविक परिस्थितियों मे नियमों की सार्थकता व उपयुक्तता का अध्ययन किया जाता है।

विशेषताएं

  • नियमों व सिद्धान्तों की दैनिक कार्य क्षेत्र की सम्स्याओं का समाधान।
  • वर्तमान हेतू नीति निर्धारण प्रक्रिया
  • मौलिक अनुसंधान पर आधारित।
Action research क्रियात्मक शोध

  • व्यक्ति या संस्था अपने उददेश्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए यह शोध करती है।
  • जैसे – कक्षा शिक्षण मे सुधार
  • अध्यापन मे सुधार
  • इसमें कक्षा शिक्षण से सम्बन्धित शोध होते हैं।
  • शोध शिक्षक या प्राध्यापक कर सकता है।
एतिहासिक अनुसंधान (Historical research)
इसका सम्बन्ध अतीत के विभिन्न अवशेषों घटनाओं व तथ्यों के आधार पर वर्तमान में विषय वस्तु या प्रत्यय को समझने का प्रयास किया जाता है।
पद

  • समस्या चयन
  • उददेश्यों का निर्माण
  • प्रदत्त संकलन
  • आकड़ों का विश्लेषण
  • परिणाम
  • प्रदत्त
प्राथमिक स्त्रोत- इसका सम्बन्ध प्रदत्तो के मूल और मौलिक साधनों से होता है।
जैसे प्रशासनिक अभिलेख
डायरी राजपत्र मानचित्र मुद्राएं घोषणा पत्र आदि।

गौढ़ स्त्रोत – गौढ़ स्त्रोत में व्यक्ति वहां उस घटना का प्रत्यक्षदर्शी या लेखक नही होता है।
आलोचना
बाह्य आलोचना – प्रदत्त सामग्री का स्त्रोत असली है या नकली बाहय आलोचना से पता लगता है।
जैसे क्या स्त्रोत उसी काल का है जिसका बताया गया है उसी के द्वारा लिखा हुआ है जिसका नाम लिखा हुआ है।
आन्तरिक आलोचना - स्त्रोत की विषय वस्तु की सत्यता की जांच जो स्त्रोत में वर्णित है क्या वह सही है।

Experimental research प्रयोगात्मक अनुसंधान
एक ऐसी विधी जिसमे दो या दो से अधिक चरों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। स्वतन्त्र चर का प्रभाव आश्रित चर पर देखा जाता है।
विशेषताएं

  • ऐक चर की अवधारणा
  • प्रत्यक्ष अवलोकन
  • कारण प्रभाव का अध्ययन
पद

  • शीर्षक
  • सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन
  • समस्या कथन
  • परिकल्पना की रचना
  • चरों का स्पष्टीकरण प्रयोग अभिकल्प का चयन
  • आकडों का संकलन
  • आंकडों का विश्लेषण परिणाम
  • व्याख्या व सामान्यीकरण
चरों को नियन्त्रित करने की तकनीकी

  • निरसन Elimination
  • स्थैर्य Constancy
  • यादृच्छिकरण Randomization
  • समेलन Matching
  • सन्तुलन Balance
  • प्रति सन्तुलन Counter balance
मौलिक और क्रयात्मक अनुसंधान में अन्तर
मौलिक अनुसंधान क्रियात्मक अनुसंधान
नये सत्य तथ्य सिद्धान्तों की खोज कक्षा तथा विदयालय की कार्य प्रणाली में सुधार
विस्तृत समस्या कक्षा व विदयालय से सम्बनधित
मूल्यांकन विशेषज्ञों के द्वारा स्वयं के द्वारा

Normal probability curve
व्यवहार में अनेक घटनाएं होती हैं जिनका परिणाम सतत होता है जैसे किसी परीक्षण में छात्रों के प्राप्तांक का या व्यक्तियों के भार या उचाइ का वितरण सतत होता है। ऐसी घटनाओं के सम्बन्ध में अनुमान लगाने के लिए समान्य प्रायक्ता वक्र का प्रयोग किया जाता है।

विशेषताएं
  • १ -यह Bell shape में होता है।
  • २- यह unimodel होता है।
  • ३- इसके केन्द्रिय प्रवृत्ति के तीनों मान mean median mode समान होते हैं और वक्र के मध्य में स्थित होते हैं।
  • ४ -NPC के symmetrical होने के कारण इसका विषमता गुणांक coefficient of skewness का मान शून्य होता है।
  • Sk=0
  • ५- यह न तो बहुत चपटा होता है ओर न बहुत नुकीला इसका वक्रता गुणांक
  • ०.२६३ होता है।
  • ६- यह दोनों दिशाओं में अनन्त पर स्पर्श करता है।
  • इसक mean 0 और sd 1 होता है।
NPC की विषमता
कारण
१-Skewness
२-Kurtosis
Skewness- इसका अर्थ है Lack of symmetry जब प्राप्तांक मध्य बिन्दु से दोनों तरफ समान मात्रा में वितरित नही होते हैं तो Mean median mode एक बिन्दु पर न होकर अलग-अलग होते हैं।
Type
Positive skewness- इसमे अधिकतर आकड़े वायीं तरफ होते हैं।

Negative skewness- इसमें अधिकतर आकड़े दायीं तरफ होते हैं।

Kurtosis- जब वक्र आवश्यकता से अधिक उंचा या चपटा होता है।
प्रकार
१-Lapto kurtosis
२-Plato kurtosis
३-Meso kurtosis

१ Lapto kurtosis- जब वक्र अधिक नुकीला होता है।
Ku= 0.263 से कम है तो लेप्टो

Plato kurtosis- जब वक्र में चपटापन अधिक होता है
Ku=0.263 से अधिक है तो plato

Meso kurtosis- जब वक्र सामान्य होता है।
Ku= 0.263 तो सामान्य

Survey method
Survey शब्द की उत्पत्ति
Sur -अर्थात उपर से ओर
veior – देखना

सर्वेक्षण शब्द का अर्थ वर्तमान में क्या रूप है इससे सम्बन्धित है। तीन प्रश्न

  • १ वर्तमान स्थिति क्या है
  • २ अनुसंधानकर्ता क्या चाहता है
  • ३ अनुसंधानकर्ता अपने उददेश्यों की प्रप्ति कैसे कर सकता है
विशेषताएं
एक समय में बहुत सारे लोगों के बारे में आंकडे एकत्र करना
Steps

  1. Selection of problem
  2. Formation of objectives
  3. Hypothesis
  4. Sampling
  5. Tool
  6. Data collection
  7. Data analysis
  8. Result
  9. Report
Case study एकल अध्ययन
पी वी यंग – किसी व्यक्ति या समूह का गहन अध्ययन ही उसके जीवन का अध्ययन है इसको एकल अध्ययन भी कहते हैं।

  • एक समय में केवल एक इकाइ का गहराइ से अध्ययन करना एकल अध्ययन कहलाता है। यह इकाइ व्यक्ति संस्था समूह नीति परिवार आदि हो सकता है।
  • इसमें Research design नही होता।
  • न्यादर्श नही होता।
  • विकासात्मक अध्ययन
इसका उददेश्य यह जानना होता है कि किसी निश्चित समय के समयान्तराल में किसी व्यक्ति संस्था और सामाजिक प्रक्रिया के विकास में कितना और कैसा परिवर्तन आया। परिवर्तनों के कारण क्या हैं।
यह दो प्रकार की होती है।

Cross sectional- यह विकास का क्रमबद्ध अध्ययन करता है। इसका स्वरूप Horizontal होता है। इसमे विकास की प्रगति और विकास के सिद्धान्त की खोज की जाती है। इसका सम्बन्ध मुख्यत: वर्तमान से है।
Longitudinal- इसमें विकास का लम्बवत अध्ययन किया जाता है। इसका सम्बन्ध अतीत वर्तमान और भविष्य से होता है।
जनसंख्या
जनसंख्या इकाइयों की एक निश्चित संख्या होती है जिसके बारे में अध्ययनगत निष्कर्ष लागू होते हैं।
प्रकार
सम जनसंख्या- जब इकाइयों की विशेषताओं में पर्याप्त समानता होती है तो उसे सम जनसंख्या कहते हैं।

विषम जनसंख्या- जब इकाइयों की विशेषताओं में पर्याप्त भिन्नता पाइ जाती है तो उसे विषम जनसंख्या कहते हैं।
न्यादर्श(Sample)
जनसंख्या से चयनित इकाइयों का वह अंश जिसमें जनसंख्या की समस्त इकाइयों का स्पष्ट प्रतिबिम्ब होता है।
जनसंख्या से अध्ययन हेतु चुनी हुइ कुछ इकाइयों को न्यादर्श कहते हैं।
Sampling
वह तकनीकी जिसकी सहायता से न्यादर्श चुना जाता है।उसे प्रतिचयन कहते Sampling हैं।
Sampling techniques

१ Probability(Random) Sampling- सम्भव्य
इसमें सभी इकाइयों के चयन की समान सम्भावना रहती है।

२ Non-probability (non-random) sampling-असम्भाव्य इस विधि में शोधकर्ता को इकाइयों के चयन में स्वतन्त्रता होती है। चयन का आधार सुविधा निर्णय अवसर हो सकता है।
Random sampling

  • १-Simple ransom
  • २Systematic random
  • ३-Stratify
  • Multistage
  • ४-Cluster
Non-probability
१-Incidental
२ Purposive
३-Quota sampling

Observation अवलोकन
Participatory- अवलोकनकर्ता उस जीवन में रहता है या भाग लेता है जिसका वह अध्ययन कर रहा होता है।

Non-participatory- अवलोकनकर्ता अध्ययन किए जाने वाले समूह के साथ रहता है परन्तु उनकी क्रियाओं में भाग नही लेता है।
वैधता
वैधता से तात्पर्य है कि कोइ परीक्षण कितनी शुद्धता और प्रभावकता से परीक्षक को उन सामान्य और विशिष्ट उददेश्यों का मापन करता है जिनके लिए उनकी रचना हुइ है।

विश्वसनीयता
कोइ परीक्षण किसी समूह पर द्वारा मिया जाये तथा पहले की तरह परिणामों में समानता आये तो वह उसकी विश्वसनीयता कहलाती है।
चर
करलिंगर- चर वह गुण है जो विभिन्न मात्राओं में उपस्थित होता है। चर वह गुण है जो परिवर्तित होता है।


प्रकार
 १ स्वतन्त्र चर- शोधकर्ता जिस कारक के प्रभाव का अध्ययन करना चाहता है वह स्वतन्त्र चर कहलाता है।

२- आश्रित चर –जिस कारक पर प्रभाव देखा जाता है उसे आश्रित चर कहते हैं।

३ हस्तक्षेप चर- ये वे चर होते हैं जिनकी मध्यस्थता से शोध पर प्रभाव पड़त है।

नियन्त्रित चर – जिन चरों को नियन्त्रित करके उनका प्रभाव अन्य चरो पर देखा जाता है उन्हे नियन्त्रित चर कहते हैं।
समाकलित चर – ये अज्ञात चर होते हैं जिनका प्रभाव शोध पर पडता है।
समाजमीति
चैपलिन – समाजमीति वह प्रविधि है जिसके द्वारा हम समूह के सदस्यों के बीच आकर्षण व अस्वीकृति मे सम्बन्धों का चित्रण किया जाता है। इस विधि के द्वारा समूह में व्यक्ति के सम्बन्धों का पता लगाया जात है। समूह में सबसे अधिक पसन्द किया जाना वाला एवं नापसंद किया जाने वाले का पता लगाया जाता है।
परिकल्पना
परिकल्पना समस्या का सम्भावित हल होत है।
कर्लिंगर – परिकल्पना दो या दो से अधिक चरों के मध्य समबन्ध ज्ञात करने का कथन है।
प्रकार
दिशायुक्त परिकल्पना – इसमें किसी सम्भावित समाधान हो अपेक्षित दिशा में लिखा जाता है।
जैसे छात्रों की बुद्धिलब्धि छात्राओं की अपेक्षा अधिक है।

दिशाविहीन परिकल्पना – इसको शून्य परिकल्पना भी कहते हैं। इस प्रकार की परिकल्पना में चरों के मध्य कोइ अन्तर नही दर्शाया जाता ।
इसको नकारात्मक रूप में बनाया जाता है।

यादृच्छिक न्यादर्श- जनसंख्या विषम हो और दूर तक फैली हो

सउद्देश्य न्यादर्श – जब ढांचा उपलब्ध ना हो

बहुस्तरीय न्यादर्श –जनसंख्या समरूप और ढांचा उपलब्ध हो।

किशोरावस्था तूफानी और तनावपूर्ण अवस्था है।– जार्ज स्टेनले हाल

वह ज्ञान जो हमें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है सबसे उदार अभिव्यक्ति है। - उपनिषद

शैक्षिक समाजशास्त्र के जनक- जार्ज पैने

शिक्षा से तात्पर्य राष्ट्र प्रेम और देश का परीक्षण है- गांधीजी

आदर्शवाद का कमजोर विन्दु – शिक्षण विधियां

बच्चा परम ब्रहम का अभिन्न अंग है- आदर्शवाद

शिक्षित नारियों के बिना शिक्षित लोग नही हो सकते- संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रस्ताव १९६७

समग्र शिक्षा – विवेकानन्द

आदर्शवाद- निगमनात्मक विधि

यथार्थवाद- आगमनात्मक विधि

प्रयोजनवाद – प्रयोगात्मक अधिगम

प्रकृतिवाद- स्वत: शोधात्मक उपागम

वैदिक दर्शन ने कक्षाओं में मानीटर पद्वति विकसित की

अस्तित्ववाद के अनुसार अपने अस्तित्व को पाने की प्रक्रिया

एकाकीपन –संघर्ष-दु:ख और सुख-सार

विकास के किसी भी पड़ाव पर कोइ भी वस्तु सिखायी जा सकती है- ब्रूनर

बुद्धि लब्धि- (मानसिक आयु)/(वास्तविक आयु)*१००

शैक्षिक लब्धि- (शैक्षिक आयु)/(वास्तविक आयु)*१००

उपलब्धि लब्धि- (शैक्षिक आयु)/(मानसिक आयु)*१००

Comments

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  5. This comment has been removed by the author.

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