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शिक्षा के मनोवैज्ञानिक आधार Psychological foundation of education


शिक्षा का मनोवैज्ञानिक आधार


अधिगम
अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त सूझ का सिद्धान्त
Gestalt theory, Insight theory
गेस्टाल्टवाद पूर्णाकार समग्रता जर्मन शब्द
वर्दिमर कोहलर कोफका लेविन दवारा

सिद्धान्त की विशेषताएं
  • 1 इसमे व्यकति समस्या का पूर्ण रूप से अवलोकन करता है।
  • 2 यान्त्रिक क्रियाओं की अपेक्षा उददेश्य पूर्ण व चेतना बद्ध प्रयास पर बल दिया।
  • 3 समस्या का समाधान अचानक व्यक्ति के मस्तिष्क मे आता है।
  • 4 प्रयास व त्रुटि व अनुबन्धन द्वारा सीखने को नही माना।
  • 5 अधिगम हमेशा उददेश्य पूर्ण खोजपरक एवं सृजनात्मक होता है।
  • 6 सूझ के लिए समस्यातमक परिस्थिती आवश्यक है।
  • 7 पूर्व अनुभव सहायक।
  • 8 सूझ के लिए अभ्यास की आवश्यकता नही।
  • 9 इस प्रकार के अधिगम का दूसरी स्थिति मे transfer हो सकता है।
प्रयोग
  • इन्होने अपना प्रयोग एक चिम्पेन्जी पर किया उसको एक पिंजरे में बन्द किया और छत से केला लटका दिया तथा एक लकड़ी का बक्सा रख दिया। सुल्तान ने उछल कर केले को पाने का प्रयास किया परन्तु वह असफल रहा। वह कोने में बैठ गया और पूरी परिस्थिति का सही से अवलोकन किया तभी उसके मस्तिष्क में एक विचार सूझा उसने बक्से को लटकते हुए केले के नीचे रखा ओर केला प्राप्त कर लिया
  • 2 दूसरे प्रयोग में केले को और उचां कर दिया तथा दो बक्से रख दिये। सल्तान ने दोनो बक्सों को रख कर केला प्राप्त कर लिया।
  • 3- तीसरे प्रयोग मे केला और अधिक उचा किया तथा छड़ी का प्रयोग करके केला प्राप्त किया।
  • 4- दो आपस में जुडने वाली छडी का प्रयोग करके केला प्राप्त किया।
अर्न्तदृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक
प्रयास और त्रुटि
प्रत्यक्षीकरण
बुद्धि
अधिगम



Thorndike’s connectionism or
Trial or error learning
थार्नडाइक का संयोजनवाद अथवा प्रयास एवं त्रुटि विधि
इन्होने मुर्गी चूहों और बिल्लियों पर प्रयोग किए
प्रयोग
इन्होने बिल्ली को पिंजडे मे बन्द किया उसमे एक दरवाजा था जो लीवर के ठीक प्रकार से दबने पर खुलता था पिंजडे के बाहर भोजन रख दिया भोजन को प्रा्प्त करने के लिए बिल्ली ने बहुत सारी अनुक्रियाएं Trial and error की एवं संयोगवश् सफलता मिल गयी
दूसरी बार भी बिल्ली ने बहुत सारी प्रतिक्रियाएं की परन्तु इस बार पहले की अपेक्षा कम समय लगा। एक ऐसा समय आया कि बिल्ली एक ही प्रयास मे दरवाजा खोलना सीख गयी । सीखने की क्रिया के सोपान

  • चालक Drive - भूख
  • लक्ष्य भोजन
  • लक्ष्य प्राप्ति में बाधा
  • उल्टे सीधे प्रयत्न
  • संयोगवश सफलता
  • सही प्रयत्न का चुनाव
विशेषताएं
  • अधिगम यांत्रिक है न कि सूझपूर्ण
  • सभी स्तनधारी एक तरह से ही सीखते है।
  • अधिगम सही अनुक्रिया के कारण होता है।
  • S.R Bond
  • Strong bond
  • weak bond
थार्नडाइक के सीखने के नियम
1 तत्परता का नियम – कार्य को सीखने के लिए उतकृष्ट होना।
2 प्रभाव का नियम – अधिगम के बाद यदि सन्तोष होता है तो बालक जल्दी सीखेगा ।
3- अभ्यास का नियम – कार्य को बार बार करना।
उप नियम
  • उपयोग का नियम
  • अनुपयोग का नियम


गौढ़ नियम
  • 1 बहुअनुक्रिया का नियम law of multipla responses - अभ्यास व त्रुटि द्वारा अधिगम
  • 2 मनोवृत्ति का नियम law of attitude
  • 3 समानता का नियम
  • 4 आंशिक क्रिया का नियम
  • ५ तत्वों की प्रबलता का नियम
  • Pavlov’s classical conditioning theory

पावलव का शास्त्रीय अनुबन्धन सिद्धान्त
S r theory (stimulus–response)
Type s theory
Cs –conditional stimulus अस्वाभाविक उददीपन
Ucs–unconditional stimulus स्वाभाविक उददीपन
Ucr–unconditional response स्वाभाविक अनुक्रिया
CS –conditional responseअस्वाभाविक अनुक्रिया
प्रयोग
इन्होने एक भूखे कुत्ते को प्रयोग वाली मेज से बांध दिया। पहले भोजन दिया जिससे कुत्ते के मुह में लार आयी उसके बाद घंटी बजाने के साथ भोजन प्रस्तुत किया इससे कुत्ते के मुह मे लार आयी यह प्रयोग कइ बार दोहराया
UCS - UCR
भोजन – लार
उसके बाद केवल घंटी बजायी
CS- CR
घंटी – लार
अन्त मे केवल घंटी बजाने पर ही कुत्ते के मुह से लार टपकने लगी।
इस प्रकार उददीपन और अनुक्रिया में अनुबन्धन हो जाता है।
UCS- UCR CS + -CR UCS CS - CR
सिद्धान्त

1 उददीपन का समयान्तराल – पहले cs उसके ०.५ सेकेन्ड के बाद ucsदेना चाहिए
२ उददीपन का सामान्यीकरण – मिलते जुलते सभी उददीपनों के प्रति समान अनुक्रिया
३ उददीपन विभेदीकरण
४ विलोपन – यदि cs+ucs की क्रिया को बार बार नही करेंगे तो अनुबन्धन का विलोपन हो जायेगा।
५ बाह्य व्यवधान – जैसे शोर आदि के होने पर प्रतिक्रिया में कमी आती है।
शैक्षिक निहितार्थ
अच्छी आदतों का विकास
बुरी आदतों के छुटकारे में सहायक



स्किनर का क्रिया प्रसूत सिद्धान्त
Skinner’s Operant conditioning theory
Skinner –American psychologist


इन्होने दो प्रकार के व्यवहार बताये
Respodent behavior- जो क्रिया किसी उददीपन के माध्यम से होती है।
भोजन देखकर लार का आना
Operant behavior- जो अनुक्रिया बिना किसी उददीपन के होती है।
हाथ पैर चलाना
इस सिद्धान्त के आधार पर Sydney L presseyने शिक्षण मशीन का निर्माण किया।
स्किनर ने operant behavior को सीखने का आधार माना।
इनके अनुसार उददीपन को पहले प्रस्तुत नही करना चाहिए
पहले अधिगमकर्ता को अनुक्रिया करने देना चाहिए।
यदि अनुक्रिया ठीक है तो उचित पुनर्बलन देना चाहिए।
इन्होने पुनर्बलन को महत्वपूर्ण माना है।
पुनर्बलन के प्रकार
Positive reinforcement- ऐसा पुनर्बलन जो अनुक्रिया की सम्भावना को बढ़ाता है।
पुरस्कार सम्मान
Negative reinforcement– ऐसा पुनर्बलन जो अनुक्रिया की सम्भावना को कम करता है।
निंदा
Reinforcement
सतत् असतत्
Ratio Interval
Fixed Variable Fixed variable
प्रयोग
कबूतर और चूहे पर
कबूतर को एक बॉक्स में रखा इसे स्किनर बॉक्स के नाम से जाना जाता है।
स्किनर ने यह लक्ष्य रखा कि कबूतर दाहिनी ओर घूमकर एक पूरा चक्कर लगाकर एक निश्चित स्थान पर चोंच मारना सीख जाये। जब कबूतर ने स्वयं दाहिनी ओर घूमकर चोंच मारी तो उसे अनाज का दाना प्राप्त हुआ। इस दाने द्वारा कबूतर को पुनर्बलन प्राप्त हुआ फिर उसने दाहिनी ओर चोंच मारी ओर दाना प्राप्त किया इस प्रकार उसने दाहिनी ओर घूमकर चोंच मारने के दवारा दाना प्राप्त करना सीख लिया।
पावलव के classical conditioning और स्किनर के operant conditioning में अन्तर
Pavlov classical conditioning                       skinner operant conditioning
S type                                                                    R type
CS से CR स्वभाविक                                        अनुक्रिया पर पुनर्बलन
अधिगमकर्ता की
भूमिका निष्क्रिय                                                      सक्रिय
अनुक्रिया करने के लिए
उददीपन की प्रतीक्षा                                     उददीपन का होना जरूरी नही
व्यवहार का आरम्भ वातावरण दवारा               अधिगमकर्ता स्वयं व्यवहार आरम्भ करता है।
अधिगमकर्ता स्वतन्त्र नही                                    स्वतन्त्र
पुनर्बलन पहले                                                          बाद में





मैसलो का मानवतावादी अधिगम सिद्धान्त
(Maslow’s humanistic theory of learning)

  • आत्मानुभूति सामर्थ्य का पूर्ण विकास
  • आत्मसम्मान
  • सामाजिक मांग
  • सुरक्षा मांग
  • जैविकीय मांग भूख प्यास
Gagne theory



Hierarchy
  • Signal learning
  • SR learning
  • Chain learning
  • Verbal learning
  • Multiplediscrimination
  • Concept learning
  • Rule learning
  • Problem solving

गुथरी का समीपता अनुबन्धन सिद्धान्त
Guthrie’s contiguous theory
ये अमेरिकन व्यवहारवादी थे।
इस सिद्धान्त के अनुसार उददीपक तथा अनुक्रिया के बीच अनुबन्धन पुनर्बलन के द्वारा नही बल्कि यह उददीपक व अनुक्रिया के बीच समीपता के आधार पर होता है। इसलिए इसे उददीपक अनुक्रिया समीपता सिद्धान्त कहते हैं।
इनके अनुसार सीखने के लिए कइ प्रयासों की जरूरत नही होती व्यक्ति एक ही प्रयास में सीख जाता है। इसे इन्होने इकहारा प्रयास सीखना भी कहा।
जैसे पेन्सिल पकड़ना
परन्तु जटिल क्रियाओं में अभ्यास की जरूरत होती है।
जैसे साइकिल चलाना।
प्रयोग
बिल्ली को एक पहेली बॉक्स में बन्द किया जिसके बीच में एक पोल लगा था। इस पोल पर बिल्ली के किसी भी अंग का स्पर्श होने पर दरवाजा खुलता था।
इन्होनें ८०० फोटो लिए।
बिल्ली ने उस अन्तिम अनुक्रिया को सीख लिया जिससे बह पहली बार बाहर आयी थी।
जैसे बिल्ली ने पहली बार अपने दांए पंजे से पोल को स्पर्श किया तो दूसरी बार भी उसी अनुक्रिया को दोहराया ।


Principle of theory

१ समीपता का सिद्धान्त – उददीपन और अनुक्रिया के बीच समीपता होने के कारण अनुबन्धन होता है।
२- ऐकल प्रयास का सिद्धान्त – उददीपन तथा अनुक्रिया के बीच सम्बन्ध प्रथम प्रयास में अधिक होता है।
इन्होनें पावलव एवं थार्नडाइक का विरोध किया।
३ Principle of last response- किसी परिस्थिति में पुन: रखने पर वह पूर्व परिस्थिति में की गयी अन्तिम अनुक्रिया को दोहराता है।
४ Role of reinforcement- आवश्यक नही परन्तू सीखी हुई अनुक्रिया के विलोपन से बचने के लिए आवश्यक
५ Role of punishment- स्वीकार किया कष्ट के लिए नही बल्कि व्यवहार परिवर्तन के लिए।
Transfer of learning- समरूप तत्वों को महत्व देना।
परिस्थिति में जितनी अधिक समानता होगी उतना अधिक स्थानान्तरण होगा।



बुरी आदतों के रोकथाम के लिए तीन विधियां
  1. देहली विधि
  2. थकान विधि
  3. असेगत विधि
Carl Roger’s theory of experiential learning
कार्ल रोजर्स का अनुभवजन्य सिद्धान्त
अमेरिकी वैज्ञानिक थे।
अधिगम की मूल प्रकृति क्या है इसका पता लगाने के लिए रोजर्स ने अधिगम को दो प्रकारों में बांटा
Cognitive learning- संज्ञानात्मक अधिगम
experiential learning- अनुभवजन्य अधिगम
संज्ञानात्मक अधिगम – जब तक इसे उपयोग में न लाया जाये निरर्थक होता है। इसका उददेश्य ज्ञान की प्राप्ति मात्र है।
शब्द ज्ञान ऐतिहासिक तथ्य आदि इसके मध्य आते हैं।
अनुभवजन्य अधिगम – यह व्यक्ति प्रगति और कल्याण से सम्बन्धित है। इसमें व्यक्ति की रूचि पाई जाती है।
इसके लिए व्यक्ति द्वारा पहल की जाती है।



Bandura’s model theory
or social learning theory
व्यक्ति अपने वातावरण को देखकर उसका अनुकरण करता है।
तथा उसके अनुसार अपने व्यवहार में परिवर्तन लाता है।


steps
  1. Observation- अवलोकन करता है।
  2. Mental image – इमेज बनाता है।
  3. Action- उसे अपनी क्रिया में लाता है।
  4. Repetition of action- सीखी हुइ क्रिया को बार बार दोहराता है।
वॉटसन का अधिगम सिद्धान्त
इन्होने अपने ११ बर्ष के बच्चे अलबर्ट पर प्रयोग किया। उसे खरगोश दिया गया जैसे ही बच्चे ने इसे छुआ इसी के साथ एक डरावनी ध्वनी पैदा की गयी। इस क्रिया को बार बार दोहराया गया। इस तरह से वह खरगोश से डरने लगा।
बाद में आवाज के न होने पर भी बच्चा खरगोश से डरने लगा।
दो नियम

  1. आवृत्ति का नियम
  2. नवीनता का नियम
हल का प्रबलन सिद्धान्त
Hull drive reduction theory
Or Hypothetical deductive theory
Or Need reduction theory
Or Biological theory
Or Goal gradient theory
हल का सिद्धान्त
(s.r) अनुकूलन सिद्धान्त है।
प्रयोग इन्होने एक भूखे चूहे को एक पिंजडे में रखा जो एक दूसरे पिंजडे से जुडा हुआ था। जब बिजली प्रवाहित की जाती थी तो चूहा उछलकर दूसरे पिंजडे में चला जाता था। बिजली से कुछ सेकेंड पहले एक घंटी बजा दी जाती थी कुछ समय बाद चूहा घंटी की आवाज पर ही दूसरे खाने में उछलकर जाने लगा।.


विशेषताएं
व्यवहार का मुख्य कारण आवश्यकता है – भूख
आवश्यकता में कमी होने पर पुनर्बलन प्राप्त होता है। तथा प्राणी व्यवहार सीख लेता है।
आवश्यकता – भोजन
चालक – भूख प्रढ़ोद
आवश्यकता-चालक भूख –व्यवहार- यदि चालक भूख मे कमी होगी तो व्यवहार सीखेगा अन्यथा नही ।
पुनर्बलन दो प्रकार के
प्राथमिक – मूलभूत आवश्यकताओं के लिए जैसे भूख
दतीयक – प्रतिष्ठा
टोलमैन का सिद्धान्त
Sign learning theory
Sign gestalt theory
Expectancy theory
Purposive theory


प्राणी संज्ञानात्मक योग्यताओं के सहारे सम्पूर्ण मानसिक परिस्थति का एक मानसिक मानचित्र बना लेता है। जिसे संज्ञानात्मक मानचित्र कहते है।
प्रत्तय
१ सीखने का अर्थ – प्राणी सीखने की प्रक्रिया के दोरान उददीपकों के बीच परस्पर अर्थयुक्त सम्बन्धों को स्थापित करना सीखता है।
२ एकीक्रत बनाम आण्विक – टोलमैन ने एकीक्रत व्यवहार पर महत्व दिया। यह उददेश्यपूर्ण होता है।
३ स्थान बनाम अनुक्रिया- प्राणी निश्चित उददीपकों के प्रति निश्चित अनुक्रिया नही सीखता बल्कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए उन स्थानों की खोज करता है जहां वस्तुएं होती हैं।
४ मध्यवर्ती चर स्वीकार किया जैसे वंशानुक्रम अनुभव प्रत्याशा
५- पुरस्कार प्रत्याशा – अधिगम में पुरस्कार देने पर व्यवहार दृढ़ हो जाता है
। ६ Latent लुप्त अधिगम – अधिगम होने पर यदि पुरस्कार नही मिलता है तो प्राणी इसका प्रदर्शन नही करता है।
लेविन का क्षेत्र सिद्धान्त
Cognitive field theory
Vector psychology
Topological psychology
Life space- Field का वह अंश जहां प्राणी विदमान रहता है अथवा मनोवैज्ञानिक रूप में रहता है और उसमें अपने प्रत्यक्षण् और विचार विन्दु समाहित करता है। यह प्राणी की सम्पूर्ण मनोवैज्ञानिक वास्तविकता है।

Topology- रेखाचित्र आकृतियों की सापेक्षित स्थितियों का ज्ञान

Field- प्राणी तथा उसके प्रत्ययों व अपेक्षाओं से बने मनोवैज्ञानिक जगत से है। इसमे भौतिक और सामाजिक वातावरण समाहित होता है।

Vector- यह निश्चित दिशा में बल को बताता है।

Valance

Positive – प्राणी वस्तु को पाना चाहता है।

Negative- प्राणी वस्तु से दूर जाना चाहता है।

समस्या आने पर प्राणी क्रियाशील होता है और जीवन स्पेस का पुनर्गठन करता है जिससे उसमे नइ सूझ आती है और वह समस्या समाधान करता है।

समस्या

Life space का पुनर्गठन
नइ सूझ और समझ
समस्या समाधान
व्यक्तित्व मूल्यांकन Personality evaluation
विधियां
जीवन की वास्तविक परिस्थितियों में व्यवहार
  1. अवलोकन Observation
  2. परिस्थिति परीक्षण Situation test
  3. स्वयं अपने बारे में सोचना
  4. आत्मकथा autobiography
  5. प्रश्नावली और व्यक्तित्व परीसूचि
  6. साक्षात्कार
दूसरे व्यक्तियों द्वारा
  1. जीवन कथा Biography
  2. व्यक्ति इतिहास Case history
  3. रेटिंग स्केल
  4. समाजमीति तकनीकि Sociometric technique
  5. प्रक्षेपी तकनीकी Projective technique

व्यक्ति प्रति एक चीज के बारे में अपना मत रखता है। इसी मत को जानने के लिए प्रक्षेपी तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। कुछ अनिश्चित चित्र धब्बे आदि को दिखाकर व्यक्ति के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है।


रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण
हरमन रोर्शा द्वारा स्विस मनोवैज्ञानिक
परीक्षण सामग्री

१० कार्ड जिन पर स्याही के अनिश्चित धब्बे बने होते हैं।
जिनका कोई निश्चित अर्थ नही होता।

५ कार्ड पर काली आकृति

२ पर काली तथा लाल

३ पर कइ रंगों की आकृति बनी होती होती

है।
परीक्षा लेने का ढंग
व्यक्ति को एक एक करके कार्ड दिखाये जाते हैं। और पूछा जाता है कि उसे इसमे क्या दिख रहा है। वह इसके बारे में क्या सोचता है। व्यक्ति जो उसके बारे में सोचता है वह परीक्षणकर्ता को बताता है। इस प्रकार परीक्षणकर्ता उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन करता है।
अंकन के आधार
  1. विषय वस्तु Content
  2. मौलिकता Originality
  3. निर्धारक तत्व Determinants

Thematic apperception test
or
T.A.T
मूरे व मोरगन के द्वारा कुल ३० चित्र
१० स्त्रियों की परीक्षा के लिए
१० पुरूषों की परीक्षा के लिए
शेष १० दोनो की परीक्षा के लिए
इस प्रकार इसमें २० कार्डो का प्रयोग किया जाता है।
चित्र अनिश्चित होते हैं।
इसमे प्रयोज्य को एक कहानी लिखनी होती है।
चित्र मे क्या हो रहा है
क्यों हो रहा है
आगे क्या हो सकता है
इस प्रकार कहानी के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूलयांकन किया जाता है।

व्याख्या के आधार
  1. Hero of story
  2. Theme of story
  3. Style of story
  4. Content
  5. Emphasis
  6. Sexual feeling
  7. End
बालकों का अंतर्बोध परीक्षण
Children apperception test (C.A.T)
लियोपोलड ब्लैक ३-१० साल के बालकों के लिए
१० कार्ड जिन पर जानवरों के चित्र बने होते हैं। जिनको जीवन की विभिन्न परिस्थिति में चित्रित किया गया है। बच्चों से कहा जाता है कि इसको देखकर कोइ कहानी बनाओ इसके आधार पर उनके व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है।
सृजनात्मकता

परम्परा से हटकर नये ढंग से चिन्तन करने एवं कार्य करने की योग्यता सृजनात्मकता है।
  1. प्रवाह
  2. विविधता
  3. मौलिकता
  4. विस्तारण
बुद्धि
बुद्धि अमूर्त चिन्तन की योग्यता है। - टरमन
बुद्धि सीखने की योग्यता है। - वकिंधम

बुद्धि के सिद्धान्त
एक कारक सिद्धान्त बिने टरमन
इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि को एक इकाइ के रूप मे माना है।
जो व्यक्ति की सभी क्रियाओं के लिए जिम्मेदार है।

द्वि कारक सिद्धान्त
स्पीयरमैन ने प्रतिपरदन किया
इनके अनुसार प्रत्येक क्रया में एक सामान्य ’g’ general कारक होता है।
तथा एक विशिष्ट ‘s’ specific होता है जो सभी क्रियाओं में सम्मिलित होता है।

बहुकारक सिद्धान्त
थार्नडाइक
इन्होने बुद्धि को कइ तत्वो का समूह माना है।


समुह कारक सिद्धान्त- थर्स्टन

गिलफोर्ड का बुद्धि संरचना सिद्धान्त
इनके अनुसार किसी भी बोद्धिक कार्य के लिए तीन आयामों की आवश्यता होती है।
  1. Operation संक्रिया
  2. Content विषय वस्तु
  3. Product उत्पाद
इन तीनों आयामों से गुजरकर बौद्धिक क्रिया समपन्न होती है।
इन तीनों आयामों को १५० तत्वों मे विभक्त किया गया है।
५*५*६- १५०
बुद्धि का वर्गीकरण
टर्मन के अनुसार

१४० से उपर प्रतिभाशाली
१२०-१४० प्रखर
११०-१२० औसत से अधिक
९०-११० सामान्य
७५-९० अल्पबुद्धि
५०-७५ मूर्ख
२५-५० मूढ़
२५ से कम जड़




व्यक्तित्व

से बना है जो लैटिन शब्द है। जिसका अर्थ है मुखौटा

व्यक्तित्व व्यक्ति के व्यवहार का समग्र गुण है। Woodworth

व्यक्तित्व वह है जिसके द्वारा हम भविष्यवाणी कर सकते हैं के कोइ व्यक्ति किस परिस्थिति में क्या करेगा। R.B. Cattel

व्यक्तित्व के सिद्धान्त





allport’s trait approach

अल्पोर्ट का विशेषक उपागम

अलपोर्ट ने तीन प्रकार के गुणों को वताया है।

  1. प्रधान विशेषक cardinal

  2. केन्द्रिय विशेषक central

  3. गौढ़ विशेषक secondary


प्रधान विशेषक व्यक्तित्व निर्माण मे सबसे अधिक भूमिका निभाते हैं। इनकी संख्या एक या दो होती है।

केन्द्रिय विशेषक

ये अत्यधिक सक्रिय होते हैं और व्यवहार को नियन्त्रित करते हैं।

आत्मविश्वास दयालुता सामाजिकता

गौढ़ विशेषक – इनके होने न होने से विशेष प्रभाव नही पड़ता ।

कैटल ने १८००० शील गुणों को खोजा था।



फ्रायड का मनोविश्लेषणवादी सिद्धान्त

Psychoanalytical theory of Freaud

मानव व्यवहार में मूल प्रवृत्तियां कार्य करती हैं।

इनके अलावा दो और

  1. Life instincs जीवन मूल प्रवृत्ति

  2. Death instincts मृत्यु मूल प्रवृत्ति


ये दो प्रवृत्तियां मनुष्य का व्यवहार नियन्त्रित करती हैं।



इन्होने सबसे प्रभावशाली काम भावना को माना

इनके अनुसार यौन आवश्यकताओं के द्वारा ही मानव का व्यवहार नियन्त्रित होता है।

मानव व्यवहार में मन की भूमिका को माना

चेतन मन

अवचेतन मन

अचेतन मन

अचेतन मन के द्वारा व्यक्तित्व का सबसे अधिक निर्धारण होता है। ९/१० व्यवहार अचेतन मन द्वारा नियन्त्रित।


इदम Id- अनैतिक भावना तत्काल सुख

अहम Ego- वास्तविकता से समबन्धित

परा अहम Super ego-सामाजिक आदर्श



पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त



स्विस मनोवैज्ञानिक थे। संज्ञान शब्द से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें संवेदना प्रत्क्षण् प्रतिमा धारण प्रत्यावन चिन्तन तर्क आदि का हमारी मानसिक क्रिया में सम्मिलित होना है। Important elements of Piagetian theory



Element

  1. Mental organization 
  2. Adaptation
  3. Assimilation 
  4. Accomodation


Mental organization मानसिक संगठन- इससे तात्पर्य प्रत्यक्षीकरण तथा बौद्धिक सूचनाओं को एक सार्थक क्रम में व्यवस्थित करने से है। 
Adaptation अनुकूलन- जब बालक अपनी पूर्व बौद्धिक संरचनाओं के अनुसार समायोजन नही कर पाता तब वह अनुकूलन सीखता है। यह दो प्रकार का होता है।

Assimilation आत्मसातकरण – इससे तात्पर्य नवीन अनुभवों को पहले से विदमान बौद्धिक संरचनाओं मे व्यवस्थित करना है।

Accommodation समाविष्टिकरण – नवीन अनुभवों के आधार पर पुरानी बौद्धिक संरचनाओं में सुधार करना है।

संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं

  • Sensory motor stage संवेदीगामक अवस्था- 0-2 वर्ष

  • Pre operational stage २-7 भाषा का विकास

  • Concrete operational stage 7-11 वस्तु विभेदन

  • Formal operational stage 11-15 समप्रत्यों का विकास


तर्क कल्पना अमूर्त चिन्तन



ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त

ये अमेरिकन मनोवैज्ञानिक थे।

इन्होनें दो प्रश्नों का उत्तर ढूढने का प्रयास किया।

बच्चा किस प्रकार अपनी अनुभूति को मानसिक रूप से बताते हैं।

२ शैश्वावस्था व वाल्यावस्था में बालकों का मानसिक चिन्तन कैसे होता है।

Stages

१ Enactive- ०-१८ माह अनुभूति क्रिया द्वारा व्यक्त करता है। जैसे हाथ पैर चलाना वस्तु पकड़ना

2 Iconic दृश्य प्रतिमा – २ साल तक

बालक अपने मन में कुछ दृश्य प्रतिमाएं बनाकर अपनी अनुभूति व्यक्त करता है।

3 Symbolic संकेतिक यह अवस्था ७ साल की उम्र में आती है।भाषा के द्वारा अभिव्यक्ति व तर्क


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