शिक्षा के सामाजिक आधार
शिक्षा तथा समाज मे अटूट सम्बन्ध है। जैसा समाज होगा वैसी ही वहां की शिक्षा व्यवस्था होगी।
- आधूनिक समाज विज्ञान पर विशेष बल
- आदर्शवादी समाज आध्यात्मिक विकास पर बल
- भौतिकवादी समाज भौतिक सम्पन्नता पर बल
- प्रयोजनवादी समाज क्रिया एवं व्यवहार पर बल
- जन्तन्त्रवादी समाज लोकतान्त्रिक आदर्शो पर आधारित
शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है।
समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल होता है।
शिक्षा का समाज पर प्रभाव
- सामाजिक विरासत का संरक्षण
- सामाजिक भावना को जाग्रत करना
- समाज का राजनैतिक विकास
- समाज का आर्थिक विकास
- सामाजिक नियन्त्रण्
- सामाजिक परिवर्तनों को बढ़ावा
- सामाजिक सुधार
- बालक का सामाजीकरण
समाज का शिक्षा पर प्रभाव
- शिक्षा के स्वरूप का निर्धारण
- शिक्षा के उददेश्य का निर्धारण
- शिक्षा की पाठयचर्या का निर्धारण
- शिक्षण विधियों का निर्धारण
- विद्यालय के स्वरूप का निर्धारण
- प्रबन्धन के तरीकों का निर्धारण
शैक्षिक समाजशास्त्र की प्रकृति
शैक्षिक समाजशास्त्र शैक्षिक समस्याओं के लिए समाजशास्त्र का प्रयोग है।
यह शिक्षाशास्त्री की प्रक्रिया है।
यह शैक्षिक समस्याओं का समाधान समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से करता है।
यह शैक्षिक परिस्थिती में व्यवहार का निर्धारण करता है।
यह शिक्षासास्त्र तथा समाजसास्त्र का एक नवीन क्षेत्र है।
इसमें शिक्षाशास्त्र तथा समाजशास्त्र दोनों के सिद्धान्तों का प्रयोग होता है।
इसमें शैक्षिेक प्रक्रिया के सन्दर्भ में समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों की व्याख्या की जाती है।
यह सामाजिक नियन्त्रण स्थापित करता है।
यह समाजशास्त्र का व्यवहारिक रूप है।
यह विदालयों की समस्याओं के लिए समाज की और जाता है।
सामाजिक रुप में शिक्षा के कार्य
- शिक्षा सामाजिक संरचना के स्वरूप का निर्धारण करती है।
- शिक्षा बालक का सामाजिकरण करती है।
- शिक्षा बालक को एक योग्य नागरिक के रूप में स्थापित करती है।
- शिक्षा सामाजिक परिवर्तनों का मार्गदर्शन करती है।
- शिक्षा समाज के आदर्शों तथा आवश्यकताओं को प्राप्त करने में सहायता देती है।
- शिक्षा समाज की संस्कृति का संरक्षण् व विकास करती है।
शिक्षा तथा परिवार
Family शब्द की उत्पत्ति Famulusशब्द से मानी जाती है। जिसके अर्थ हैServent
उन व्यकतियो का समूह जिनमें रक्त समबन्ध् हो तथा वे एक दूसरे को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हों उसे परिवार कहते हैं।
परिवार के कार्य
- बालक के नैतिक एवं शारीरिक विकास में सहयोग देना
- बालक के स्वास्थ्य की रक्षा एवं शारीरिक विकास।
- बालक के शारीरिक मानसिक एवं संवेगात्मक विकास में योगदान देना ।
शिक्षा तथा समुदाय
Community दो शब्दों से बना है com तथा munisजिसका अर्थ है एक साथ सेवा करना
एैसा समूह जो एक साथ रहते हुए एक दूसरे का सहयोग व अधिकारों का उपयोग करते है।
समुदाय का शिक्षा पर प्रभाव
- यह बालक के व्यक्तित्व विकास पर प्रभाव डालता है।
- यह बालक की शिक्षा का सक्रिय अनौपचारिक साधन है।
- यह बालक के सामाजिक संग्यानातमक तथा व्यावहारिक विकास में योगदान करता है।
- समुदाय शिक्षा के उददेश्य व पाठयक्रम के निर्धारण में भूमीका निभाता है।
शिक्षा व संस्कृति
संस्कृति शब्द अंग्रेजी भाषा के cultureशब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। cultureशब्द लेटिन भाषा के culturaसे बना है जिसका अर्थ है TO cultivate or To learn
समुदाय विशेष के लोग जो ज्ञान व्यवहार व आदर्श सीखते हैं उन्हे बनाए रखना पसंद करते हैं जैसा व्यवहार करना पसंद करते है बह सब उनकी संस्कृति कहलाता है।
संस्कृति के प्रकार
आजबर्न के अनुसार
1 भौतिक संस्कति मानव दवारा निर्मित वस्तुओं के रूप में
2 अभौतिक संस्कृति मानव दवारा बनाये गये विचार मूल्य आदर्श एवं व्यवहार प्रतिमान के रूप मे होती है।
संस्कृति के सन्दर्भ में शिक्षा की भूमिका
- संस्कृति के हस्तान्तरण मे सहायक
- संस्कृति की निरन्तरता मे सहायक
- संस्कृति के परिवर्तन मे सहायक
- व्यक्तित्व के विकास में सहायक
- सांस्कृतिक बिलंबना को दूर करना
- व्यकति के सांस्कृतिक विकास में सहायक
संस्कृति के कार्य
- मानव का परिवेश से अनुकूलन कराती है।
- सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत करती है।
- मानव व्यक्तित्व का निर्माण करती है।
- नैतिकता का विकास करती है।
शिक्षा के सन्दर्भ में संस्कृति की भूमिका
- शिक्षा के प्रत्यय का निमा्रण्
- शिक्षा के उददेश्यों का निर्धारण
- पाठयक्रम का निर्धारण
- संस्कृति के अनुरूप शिक्षण विधियो का निर्माण
लोकतन्त्र
अब्राहम लिंकन के अनुसार लोकतन्त्र जनता का जनता के दवारा एवं जनता के लिए बनायी गयी शासन व्यवस्था है।
लोकतन्त्र के सिद्धान्त
- समानता
- स्वतन्त्रता
- भ्रातत्व
- न्याय
समाजीकरण एवं बालक
समाजीकरण् करने वाले तत्व
- परिवार
- पास पड़ोस
- विदयालय
- खेल समूह
- धर्म
- जाति
- समाज
सामाजिक स्तरीकरण
सामाजिक स्तरीकरण लोगों की योग्यता कार्य गुण् आदि के आधार पर उच्च से निम्न की ओर विभाजन है। यह एक आवश्यक प्रक्रिया है। सामाजिक स्तरीकरण के आधार
- पद
- धर्म
- जन्म
- आयु
- लिंग
- व्यवसाय
- निवास
सामाजिक गतिशीलता
सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य व्यक्ति की सामाजिक स्थिति मे परिवर्तन है।
यह दो प्रकार की होती है।
- समतल Horizontal
- उदग्र vertical
समतल गतिशीलता में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन पूर्ववत ही रहता है।
उदग्र गतिशीलता में पद स्थिती प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
विशेषताएं
- सर्वव्यापी व सार्वभौमिक
- शाश्वत
- गति असमान
- स्वरूप जटिल
- भविष्यवाणी नही की जा सकती
सर्वशिक्षा अभियान जनवरी २००१ से प्रारम्भ् हुआ ।
संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद १४- विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण इसका अर्थ है कि राज्य सभी व्यक्तियों के लिए एक समान कानून बनायेगा तथा उन पर एक समान लागू करेगा।
अनुच्छेद १५- धर्म मूल वंश जाति नस्ल लिंग तथा जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नही इनके आधार पर राज्य नागरिकों के किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नही करेगा।
अनुच्छेद १६- राज्य के अधीन किसी पद पर नियुक्ति से समबन्धित विषयों में नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी।
अनुच्छेद१७- अस्पृश्यता की समाप्ति
अनुच्छेद२३- मानव के दुर्व्यापार और बाल श्रम का प्रतिषेध
अनुच्छेद २१-1- ६ से १४ बर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा व अनिवार्य शिक्षा
अनुच्छेद ४६- अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ समबन्धी हितो के लिए राज्य प्रयास करेगा।
अनुच्छेद ४७- पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को उचां करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य प्रयास करेगा।-
आधुनिकीकरण
औदयोगीकरण के साथ आने वाले सभी संरचनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को आधुनिकीकरण कहते हैं। -Linndsay and Beach
आधुनिकीकरण के मानदण्ड
- औदयोगीकरण
- साम्प्रदायिकता एकता
- आधुनिक शिक्षा
- उच्च संचार व्यवस्था
- मूल्यों में लचीलापन
Good and brief but Need more matter for exam
ReplyDelete