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अस्तित्ववाद existentialism notes in hindi for ugc net education



अस्तित्ववाद (Existentialism)
विचारक सोरेन क्रिकगार्ट
नीत्शे सात्रे जैसपर्स मार्टिन हेडेगर

यह मानव अस्तित्व पर भौतिकता के संकट का दर्शन है।
सभी प्रकार का ज्ञान का उददेश्य मनुष्य के अस्तित्व की पहचान करना है।
मनुष्य कौन है मनुष्य का अस्तित्व क्या है।

मुख्य सिद्धान्त
आध्यात्मिक मूल्य प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग अलग हैं।
मानव व्यक्तित्व पर बल ।
आदर्शवादी सिद्धन्तो का खंडन
भवात्मक पक्ष पर बल
बच्चों के लिए उदार शिक्षा

ज्ञान मीमांसा
सभी प्रकार के ज्ञान व्यक्तिनिष्ट हैं।
सहज ज्ञान पर विश्वास
सभी प्रकार के ज्ञान व सत्य व्यक्तिनिष्ठ हैं।
सच्चा ज्ञान मनुष्य के स्व का विकास करता है।
ये सहज ज्ञान पर विश्वास करते हैं।
यह व्यक्तिनिष्ठ दर्शन है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने अस्तित्व को पहचानना है।

तत्व मीमांसा
मनुष्य का अस्तित्व ही यथार्थ है।
स्वयं को जानना ही उसके जीवन की आधारशिला है।
इन्होनें समाज को नही माना।
स्वतन्त्रता को माना है।

मूल्य मीमांसा
मूल्यों को व्यक्तिनिष्ठ माना है।
स्वतन्त्रता सबसे बड़ा नैतिक मूल्य ।
मानव अपने मूल्यों की रचना स्वयं करता है।
सब के मूल्य अलग अलग होते हैं।

शिक्षा के उददेश्य
बौद्धिक विकास
आत्मनिष्ठ व अन्तर्ज्ञान के विकास को जाग्रत करना।
वस्तुनिष्ठ ज्ञान को व्यक्तिनिष्ठ ज्ञान में बदलना।
तकनीकि शिक्षा को महत्व नही ।
वैयक्तिक उन्नति का विकास करना।
स्वये की समझ का विकास करना ।

पाठ्यक्रम
कठोर पाठ्यक्रम का विरोधी
कला और साहित्य पर बल
तकनीकि शिक्षा का विरोध
लेखन इतिहास अंग्रेजी साहित्य धर्म मानवशास्त्र

शिक्षण विधियां
सामूहिक विधि का विरोध
सर्वोत्तम विधि सुकरात विधि अर्थात प्रश्न पूछना
करके सीखना
अन्तर्ज्ञान
स्व खोज विधि

शिक्षक
महत्वपूर्ण है।
शिक्षक विदार्थी सम्बन्ध व्यत्तागत होने चाहिए
प्रत्येक के लिए अलग शिक्षक।

अनुशासन
बालक स्वयं जिम्मेदार
स्व अनुशासन

विदालय
सामूहिकता का विरोध किया इसलिए विदालय को अधिक महत्व नही दिया।
नीत्शे ईश्वर मृत है हमने उसकी हत्या कर दी है।
जैस्पर मानव ही सबकुछ है।
सुकरात अपने आप को जानो

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